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रे कुचीलतन तेलिया

re kuchiltan teliya

रसनिधि

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रे कुचीलतन तेलिया

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और अधिकरसनिधि

    रे कुचीलतन तेलिया, अपनौ मुख तौ हेर।

    सुमननि-वासे तिलन कौं, कहे डारत पेर॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी नीति-काव्य-धारा (पृष्ठ 71)
    • संपादक : भोलानाथ तिवारी
    • रचनाकार : रसनिधि
    • प्रकाशन : किताब महल, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1984

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