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रसने तू नव नागरी

rasne tu nav

युगलान्यशरण

युगलान्यशरण

रसने तू नव नागरी

युगलान्यशरण

और अधिकयुगलान्यशरण

    रसने तू नव नागरी, गुनन आगरी नाम।

    क्यों भजै संकोच तजि, सजि मन मोद ललाम॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : रामभक्ति-साहित्य में मधुर उपासना (पृष्ठ 291)
    • संपादक : भुवनेश्वरनाथ मिश्र माधव
    • रचनाकार : युगलान्यशरण
    • प्रकाशन : बिहार-राष्ट्रभाषा-परिषद्, पटना
    • संस्करण : 1975
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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