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गंग प्रगट जिहि चरण तैं

gang pragat jihi charn tain

रसनिधि

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गंग प्रगट जिहि चरण तैं

रसनिधि

और अधिकरसनिधि

    गंग प्रगट जिहि चरण तैं, पावन जग कौ कीन।

    तिहि चरनन कौ आसरौ, आइ रसिकनिधि लीन॥

    रसनिधि कहते हैं कि भगवान विष्णु के जिन चरणों से प्रकट हुई गंगा ने सारे संसार को पवित्र कर दिया, मैंने भगवान के उन्हीं चरणों का सहारा ले लिया है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : पुष्प-पराग (पृष्ठ 299)
    • संपादक : टेकचंद शास्त्री
    • रचनाकार : रसनिधि
    • प्रकाशन : भारती सदन, दिल्ली
    • संस्करण : 1955

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