चौकड़ियाँ

बुंदेलखंड का लौकिक छंद। चार कड़ियों में लिखे जाने के कारण इसे चौकड़िया कहा गया। कुछ विद्वानों के अनुसार इस छंद के पुरस्कर्ता ईसुरी हैं।

बुंदेली फाग के कवि।

बुंदेलखंड में फागों के लिए चर्चित कवि।

बुंदेली फागों के लिए स्मरणीय कवि।

बुंदेली फाग के लिए ख्यात कवि।

बुंदेलखंड की फागों के लिए चर्चित कवि।

बुंदेलखंड के कवि, फागों के लिए स्मरणीय।

फागों के लिए स्मरणीय कवि।

1590 -1727

वल्लभ संप्रदाय से संबद्ध। कृष्ण-भक्ति के सरस पदों के लिए ख्यात। साहित्येतिहास ग्रंथों में प्रायः उपेक्षित।

बुंदेली फाग के रचनाकार।

1518 -1585

कृष्णभक्त कवि। पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय के अष्टछाप कवियों में से एक। कुंभनदास के पुत्र और गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य।

कृष्णभक्ति के सरस पदों के लिए ख्यात।

बुंदेली फाग कवियों में से एक।

फागों के लिए स्मरणीय कवि।

भक्ति के सरस फागों के लिए स्मरणीय।

योग साधना के गूढ़ पदों के लिए स्मरणीय।

रामस्नेही संप्रदाय से संबद्ध संत कवि।

बुंदेली फाग के कवि।

शृंगार की सरस फागों के लिए समादृत कवि।

फाग के लिए ख्यात कवि।

बुंदेली फागों के लिए प्रसिद्ध।

बुंदेलखंड की लोक विधा फाग के लिए चर्चित नाम।

फाग के लिए स्मरणीय कवि।

बुंदेली फाग के एक चर्चित कवि।

लोक विधा फाग के लिए प्रसिद्ध।

1840 -1932

रसिक भक्त कवि। रामकथा वाचक और भक्तमाल के टीकाकार।

फाग के लिए स्मरणीय।

सरस फागों के लिए स्मरणीय।

शृंगार प्रधान फागों के लिए चर्चित।

शृंगार की सरस फागों के लिए स्मरणीय कवि।

फागों के लिए स्मरणीय।

दादू के प्रधान शिष्यों में से एक। दया, उदारता और देह की अनित्यता पर सरल भाषा में लिखे पदों के लिए स्मरणीय।

भक्ति की सरस फागों के लिए स्मरणीय।

बुंदेली फागों के कवि।

भक्ति के सरस पदों के लिए स्मरणीय।

नीतिपरक फागों के लिए प्रसिद्ध।

भक्तिपरक फागों के लिए प्रसिद्ध।

भक्ति की सरस फागों के लिए स्मरणीय कवि।

'राधावल्लभ संप्रदाय' से संबंधित भक्त कवि।

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