साहित्य और कला की विभिन्न विधाओं का संसार
यह कहानी नहीं है। यह बस एक छोटा-सा इंटरव्यू है—कहानी-सा। इसका नायक किट्टू है। वह 35 साल का है। वह 31 का था, जब उसे यह पता चला था कि वह एच.आई.वी. पॉज़िटिव है। किट्टू की कहानी में कोई भारी संघर्ष नही ...और पढ़िए
तोषी | 11 दिसम्बर 2023
यह नब्बे के दशक की बात है। 1994-95 के आस-पास की। हम राजस्थान विश्वविद्यालय में पढ़ा करते थे। साहित्य में रुचि रखने वाले हम कुछ दोस्तों का एक समूह जैसा बन गया था। इस समूह को हमने ‘वितान’ नाम दिया था। ...और पढ़िए
प्रभात | 11 दिसम्बर 2023
उस दिन पहाड़ पर बादल तेज़ हवाओं के साथ बह रहे थे। वह बादलों की ओर देखकर शायद कोई प्रार्थना कर रही थी। मैंने कहा, “...सब आसमान की तरफ़ देखकर प्रार्थनाएँ क्यूँ करते हैं?” वह मुस्कुराते हुए बोली, “ताकि ...और पढ़िए
सौरभ अनंत | 10 दिसम्बर 2023
‘आश्चर्यवत्’ सौ से भी कम पृष्ठों का निर्भार संग्रह है, लेकिन माथे पर थाप दी गई आचार्य वागीश शुक्ल की दस पृष्ठों की भूमिका से कुछ उलार-सा लगता है। इस तरह इसे आप ‘आचार्यवत्’ भी कह सकते हैं। आचार्य ने क ...और पढ़िए
आशीष मिश्र | 08 दिसम्बर 2023
पत्रकारिता में स्नातक की डिग्री प्राप्त हुए मुझे लगभग दो साल पूरे हो चुके हैं। मेरे साथ के सभी सहपाठियों ने कहीं न कहीं दाख़िला ले लिया है और वे अक्सर पूछते हैं कि मैंने कहीं पर दाख़िला क्यों नहीं लि ...और पढ़िए
रुकैया | 07 दिसम्बर 2023
मैं आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, इस कार्यक्रम के आयोजकों और नियामकों का जिन्होंने मुझे आपके रूबरू होने का, कुछ बातें कर पाने का मौक़ा दिया। मेरे लिए यह मौक़ा असाधारण तो नहीं, लेकिन कुछ दुर्लभ ज़रूर है। ल ...और पढ़िए
योगेंद्र आहूजा | 05 दिसम्बर 2023
जहाँ से मुझे अपना बचपन याद आता है, लगभग चार-पाँच साल से, तब से एक बात बहुत शिद्दत से याद आती है कि मुझे पढ़ने का बहुत शौक़ हुआ करता था। कुछ समय तक जब गाँव की पाठशाला में पढ़ता था, पिताजी जब भी गाँव आते ...और पढ़िए
विपिन कुमार शर्मा | 04 दिसम्बर 2023
घड़ी घड़ी की सुइयाँ रुक गई हैं। वक़्त अब भी बीत रहा है। हम यहाँ बैठे हैं। वक़्त के साथ-साथ हम भी बीत रहे हैं। हम रोज़ सुबह उठते हैं और रात को सो जाते हैं। वक़्त से आधा घंटा देर से खाना खाते हैं। रात देर ...और पढ़िए
देवेश | 03 दिसम्बर 2023
‘कविता का जीवन’ असद ज़ैदी का दूसरा कविता-संग्रह है। पहला सात वर्ष हुए ‘बहनें और अन्य कविताएँ’ के नाम से प्रकाशित हुआ था। इसमें 48 कविताएँ थीं। ‘कविता का जीवन’ किंचित छोटा, परंतु अधिक संगठित संग्रह है ...और पढ़िए
रघुवीर सहाय | 02 दिसम्बर 2023
संकेत-सूत्र कविताएँ इधर लगभग नहीं ही लिखीं। अनुभूति-क्षणों के आकलन और अभिव्यक्ति की प्रक्रिया शायद कुछ और राहों की ओर मुड़ पड़ी हो, शायद अधिक व्यापक और प्रभविष्णु धरातलों को खोज रही हो। खोज की सफल ...और पढ़िए
राजेंद्र यादव | 28 नवम्बर 2023
जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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