सुरेंद्र चौधरी का आलोचनात्मक लेखन
हिंदी कहानीः रचना की प्रक्रिया
पिछले दस वर्षों में हिंदी कहानी जिस तेज़ी से विकसित हुई है, उसकी सामान्य रचना-प्रक्रिया में जो गति आई है उसके कारणों पर विचार करना यहाँ उद्दिष्ट नहीं। यहाँ सिर्फ़ इतना भर कहना काफ़ी होगा कि 1645 ई. के उपरांत कहानी एक साथ ही अनेक दिशाओं में विकसित होने