1955 - 2004
सुपरिचित कहानीकार। चार कहानी-संग्रह प्रकाशित।
(यह एक विषैला, मांसभक्षी पौधा है जिसमें एक ढक्कन-सा होता है जो वर्षा के पानी को रोकता है ताकि वह पानी उसके विष को हल्का न कर दे) ख़ाली बरस मोहल्ले में इतने घर थे कि कुछ न कुछ होता ही रहता था। कभी कहीं ब्याह-सगाई का धूम-धड़ाका तो भी कहीं मौत
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जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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