पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का आलोचनात्मक लेखन
हिंदी साहित्य का मध्यकाल
हिंदी में कबीर और दादू के समान कितने ही संतों ने कविताएँ लिखी हैं। उनकी रचनाओं में कला का विशेष सौष्ठव न होने पर भी सत्य की ज्योति है। कविता में कला और शक्ति का विलक्षण सम्मिश्रण तुलसीदास और सूरदास की रचनाओं में हुआ है। ये दोनों हिंदी के सर्वश्रेष्ठ