Font by Mehr Nastaliq Web
noImage

उदयराज जती

रीतिकाल के नीतिकवि।

रीतिकाल के नीतिकवि।

उदयराज जती की संपूर्ण रचनाएँ

दोहा 7

स्वारथ प्यारो कवि उदै, कहै बड़े सो साँच।

जल लेवा के कारणे, नमत कूप कूँ चाँच॥

  • शेयर

अति करौ कहि कवि उदै, अति कर रावन कंस।

आप गयौ जानत सकल, गयौ संपूरन बंस॥

  • शेयर

आछा खावै सुख सुवै, आछा पहिरे सोइ।

अति आछो रहणी रहै, मरै बूढ़ा होइ॥

  • शेयर

उदै सीख कहि क्यों दिए, सीख दिया दुख होइ।

अपनी करनी चालणी, बुरी देखै कोइ॥

  • शेयर

सज्जन मिलण समान कछु, उदै दूजी बात।

सेत पीत चूनौ हरद, मिलत लाल ह्वै जात॥

  • शेयर

सवैया 1

 

Recitation