Font by Mehr Nastaliq Web
noImage

शिव सम्पति

रीतिकालीन अलक्षित कवि।

रीतिकालीन अलक्षित कवि।

शिव सम्पति की संपूर्ण रचनाएँ

दोहा 6

धर्म करो मन क्यों परो, कहो कुमति के धंध।

का करिहौ चलिहौ जबै, मूढ़! चारि के कंध॥

  • शेयर

लह्यो सुख जग ब्रह्म को, धर्यो हिय में ध्यान।

घर को भयो घाट को, जिमि धोबी को स्वान॥

  • शेयर

विषै भोग की आस में, सब दिन दियो बिताय।

रे मन, करिहै काह अब, पीरी पहुँची आय॥

  • शेयर

सुबह साँझ के फेर में, गुजरी उमर तमाम।

द्विविधिा मँह खोये दोऊ, माया मिली राम॥

  • शेयर

रे मन, नित रहिहै नहीं, तरुनापन अभिलाख।

चार दिना की चाँदनी, फिर अँधियारा पाख॥

  • शेयर

सवैया 1

 

Recitation

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए