गणेशपुरी पद्मेश की संपूर्ण रचनाएँ
दोहा 1
कुंडल जिय-रक्षा करन, कवच करन जय वार।
करन दान आहव करन, करन-करन बलिहार॥
जी की रक्षा करने वाले कुंडल और जय करने वाले कवच, इनका दान करने वाले और युद्ध करने वाले कर्ण के हाथों की बलिहारी है।
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- व्याख्या