सुमिरन पर अड़िल्ल
इष्ट और गुरु का सुमिरन
भक्ति-काव्य का प्रमुख ध्येय रहा है। प्रस्तुत चयन में सुमिरन के महत्त्व पर बल देती कविताओं को शामिल किया गया है।
भजन करो जिय जानि के प्रेम लगाइया।
हर दम हरि सों प्रीति सिदक सब पाइया॥
बहुतक लोग हेवान सुझत नहिं साँइया।
कह गुलाल सठ लोग जन्म जहँड़ाइया॥