यात्रा पर

यात्राएँ जीवन के अनुभवों

के विस्तार के साथ मानव के बौद्धिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। स्वयं जीवन को भी एक यात्रा कहा गया है। प्राचीन समय से ही कवि और मनीषी यात्राओं को महत्त्व देते रहे हैं। ऐतरेय ब्राह्मण में ध्वनित ‘चरैवेति चरैवेति’ या पंचतंत्र में अभिव्यक्त ‘पर्यटन् पृथिवीं सर्वां, गुणान्वेषणतत्परः’ (जो गुणों की खोज में अग्रसर हैं, वे संपूर्ण पृथ्वी का भ्रमण करते हैं) इसी की पुष्टि है। यहाँ प्रस्तुत है—यात्रा के विविध आयामों को साकार करती कविताओं का एक व्यापक और विशेष चयन।

निशा : पिता जी, दशहरे की छुट्टियों में हम मैसूर जाएँगे।

निशांत : नहीं पापा, पिछले साल मैं स्कूल की टीम में मैसूर गया था। इसलिए कहीं और जाएँगे।

निशा : मैं तो मैसूर का दशहरा ही देखना चाहूँगी।

पिता : अब मैसूर के लिए रिज़र्वेशन मिलना कठिन है। अबकी बार हम कन्याकुमारी जाएँगे।

निशा : तब तो बड़ा मज़ा आएगा। कन्याकुमारी में तीन सागरों का संगम होता है। वहाँ हम सूर्योदय भी देखेंगे और सूर्यास्त भी देखेंगे।

पिता : हाँ बेटी, पूर्णिमा के दिन शाम को कन्याकुमारी में चंद्रमा का उदय और सूर्य का अस्त होना एक साथ देख सकते हैं। क्यों मीना तुम भी चलोगी न? छुट्टी मिल जाएगी? 

माँ : क्यों नहीं? मेरी तो काफ़ी छुट्टियाँ बाक़ी हैं। आराम से मिल जाएँगी। हम लोग कन्याकुमारी कैसे जाएँगे?

पिता : हम तिरुअनंतपुरम् तक राजधानी एक्सप्रेस से जाएँगे। वहाँ से कन्याकुमारी ज़्यादा दूर नहीं है। रेल या बस से जा सकते हैं।

निशांत : शाम से पहले कन्याकुमारी पहुँचना अच्छा रहेगा। तभी हम सूर्यास्त देख सकते हैं। हम रात को विवेकानंद नगर में ठहरेंगे। सुबह जल्दी उठकर समुद्र के किनारे पहुँचेंगे और सूर्योदय देखेंगे।

पिता : सूर्योदय देखने के बाद हम नाश्ता करेंगे और विवेकानंद स्मारक देखने जाएँगे।

माँ : विवेकानंद स्मारक में क्या है?

पिता : विवेकानंद स्मारक कन्याकुमारी के पास समुद्र के किनारे थोड़ी दूर पर एक बड़ी चट्टान पर बना है। हम लोग मोटर लांच से स्मारक पहुँचेंगे। वहाँ पर विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस की मूर्तियाँ हैं। चट्टान पर खड़े होकर हम समुद्र की लहरों का आनंद लेंगे।

निशा : बहुत अच्छा। वहाँ से सीपियाँ और शंख लाऊँगी।

पिता : निशांत, आज ही जाकर रिज़र्वेशन करा लाओ। हाँ एक बात याद रखना यात्रा में कम सामान रखना चाहिए। कहा भी है कि कम सामान बहुत आराम, अपनी यात्रा सुखद बनाइए।

अज्ञात

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