
यह श्वेत व्यक्ति है जो नीग्रो बनाता है। लेकिन यह नीग्रो है जो अफ़्रीकी पहचान बनाता है।

श्रेष्ठता? हीनता? क्यों न बस दूसरे को छूने, दूसरे को महसूस करने, एक-दूसरे को खोजने का प्रयास करें?

अब जात-पाँत के, ऊँच-नीच के, संप्रदायों के भेद-भाव भूलकर सब एक हो जाइए। मेल रखिए और निडर बनिए। तुम्हारे मन समान हों। घर में बैठकर काम करने का समय नहीं है। बीती हुई घड़ियाँ ज्योतिषी भी नहीं देखता।