मुक्तिबोध: एक संस्मरण
भोपाल के हमीदिया अस्पताल में मुक्तिबोध जब मौत से जूझ रहे थे, तब उस छटपटाहट को देखकर मोहम्मद अली ताज ने कहा था-
उम्र भर जी के भी न जीने का अंदाज़ आया
ज़िंदगी छोड़ दे पीछा मेरा मैं बाज़ आया
जो मुक्तिबोध को निकट से देखते रहे हैं, जानते हैं कि दुनियावी अर्थों