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हिजड़े पर कविताएँ

भारतीय समाज में हिजड़ों

की स्थिति हमेशा हाशिए की रही है। उनके अपने अंधकार और व्यथाएँ हैं। हिंदी कविता ने इस स्थिति को समय-समय पर दर्ज करने की कोशिश की है। प्रस्तुत चयन ऐसी ही कविताओं का है।

हिजड़े

हरीशचंद्र पांडे

हिजड़े

निलय उपाध्याय

हिजड़े

कृष्णमोहन झा

किन्नर

यतीश कुमार

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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