निंदा पर ब्लॉग

निंदा का संबंध दोषकथन,

जुगुप्सा, कुत्सा से है। कुल्लूक भट्ट ने विद्यमान दोष के अभिधान को ‘परीवाद’ और अविद्यमान दोष के अभिधान को ‘निंदा’ कहा है। प्रस्तुत चयन उन कविताओं से किया गया है, जहाँ निंदा एक प्रमुख संकेत-शब्द या और भाव की तरह इस्तेमाल किया गया है।

पंक्ति प्रकाशन की चार पुस्तकों का अंधकार

पंक्ति प्रकाशन की चार पुस्तकों का अंधकार

‘कवियों में बची रहे थोड़ी लज्जा’ मंगलेश डबराल की इस पंक्ति के साथ यह भी कहना इन दिनों ज़रूरी है कि प्रकाशकों में भी बचा रहे थोड़ा धैर्य―बनी रहे थोड़ी शर्म।  कविता और लेखक के होने के बहुतायत में प्र

पंकज प्रखर

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए