किताबों से अधिक ज़रूरत है दवाओं की।
दवाओं से अधिक ज़रूरत है परिचित दिशाओं की।
दिशाओं से अधिक ज़रूरत है एक कमरे की।
किराए का पानी, किराए की बिजली और किराए की साँस लेने के बाद; ख़ुद को किराए पर देने के
अतुल तिवारी
शहर, अतीत और अंत के लिए
शहर
शहर अपने आपमें कितना कुछ समेटे रहता है—बहुत सारी त्रासदी, पलायन, सांप्रदायिक दंगे और बहुत सारी ख़ुशियाँ भी। आप बहुत दिनों तक अकेले पड़े रहते हैं—हॉस्टल के कमरें में, किसी लाइब्रेरी के एक कोने में
प्रदीप्त प्रीत
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