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गाली पर लोकगीत

गालियों को लोक-व्यवहार

का अंग कहा गया है। कहा तो यह भी जाता है कि जब भाषा लाचार होकर चुक जाती है, तब गाली ही अभिव्यक्ति का माध्यम बनती है। यहाँ इस चयन में अभिव्यक्ति के लिए गाली को केंद्र बनाने वाली रचनाएँ संकलित हैं।

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