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गाली पर ब्लॉग

गालियों को लोक-व्यवहार

का अंग कहा गया है। कहा तो यह भी जाता है कि जब भाषा लाचार होकर चुक जाती है, तब गाली ही अभिव्यक्ति का माध्यम बनती है। यहाँ इस चयन में अभिव्यक्ति के लिए गाली को केंद्र बनाने वाली रचनाएँ संकलित हैं।

विचारों में कितनी भी गिरावट हो, गद्य में तरावट होनी चाहिए

विचारों में कितनी भी गिरावट हो, गद्य में तरावट होनी चाहिए

सफल कहानी वही है जो पाठकों को याद रह जाए। कहानियों में कथ्य महत्त्वपूर्ण है―भाषा नहीं। मैं जो कहना चाह रहा हूँ, वह आपको ऐसे समझ नहीं आएगा। कहानी कहने के सलीक़े को समझाने के लिए मैं आपको दो नौसिखिया कहा

अतुल तिवारी

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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