बजाओ ख़ुद का बनाया बाजा
bajao khud ka banaya baja
नोट
प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा चौथी के पाठ्यक्रम में शामिल है।
पिछली कक्षाओं में तुमने पत्तों से पटाखा बनाया, ग्रीटिंग कार्ड बनाया, काग़ज़ से मुखौटे बनाकर नाटक खेला। आओ, इस बार हम बाजे बनाएँ और तरह-तरह की आवाज़ों का मज़ा लें।
जलतरंग— पानी से भरे हुए प्यालों पर लकड़ी की पतली डंडी से चोट करने पर अलग-अलग तरह की आवाज़ें निकलती हैं जो सुनने में काफ़ी मधुर लगती हैं।
जलतरंग का मज़ा लेने के या छह चीनी मिट्टी के अलग-अलग चार आकार के प्याले लो। अब उनमें पानी भरकर उन्हें एक क्रम में रखो। इन जल से भरे प्यालों पर लकड़ी की डंडी से चोट करो। सुनाई दी न मधुर-मधुर आवाज़ें। अब अंदाज़ा लगाओ कि इस बाजे का नाम जलतरंग क्यों पड़ा?
नगाड़ा— नगाड़ा तो ख़ूब बड़ा होता है। पर हम एक छोटा-सा नगाड़ा बनाएँगे। इसके लिए नारियल का खोल, एक बड़ा ग़ुब्बारा और धागा ले लो। अब नारियल के मुँह पर ग़ुब्बारे खींचकर धागे से बाँध दो। लो बन गया नगाड़ा।
अब एक पतली लकड़ी के सिरे पर कपड़ा लपेटकर छोटी-सी घुंडी बनाओ। इस लकड़ी से बँधे हुए ग़ुब्बारे पर चोट करो। क्या हुआ?
नारियल की जगह टीन का डिब्बा, मिट्टी का कुल्हड़ भी ले सकते हो। इसी तरह ग़ुब्बारे की जगह पन्नी का इस्तेमाल कर सकते हो। चीज़ों के बदलाव से आवाज़ भी अलग-अलग तरह की निकलेगी।
धागे का बाजा— धागे से बाजा बनाने के लिए तुम पहले पतले धागे का एक टुकड़ा लो। इसके एक सिरे को अपने एक हाथ की उँगली में लपेटकर उसे अपने एक कान से सटाओ। फिर धागे के दूसरे सिरे को दूसरे हाथ की उँगली में लपेटकर हाथ की दूसरी उँगली से धागे को बजाओ। तुम्हारे ऐसा करने से अलग-अलग प्रकार की आवाज़ें बाहर आएँगी। अब तुम धागे आवाजों की लंबाई कम या ज़्यादा करके में बदलाव ला सकते हो।
आओ चलते-चलते आवाज़ों में बदलाव का एक और प्रयोग करें। कंघी को पतले काग़ज़ों में लपेटकर मुँह के पास लाओ। अब उसमें कुछ बोलो या गुनगुनाओ। देखो आवाज़ों में बदलाव स्पष्ट सुनाई पड़ेगा।
- पुस्तक : रिमझिम (पृष्ठ 126)
- प्रकाशन : एनसीईआरटी
- संस्करण : 2022
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