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रुम-झुम भरि आये री नयना तिहारे
रुम-झुम भरि आये री नयना तिहारे।बिथुरी सी अलकैं स्याम घन सी लागत,
तानसेन
ख़ूब यार मासूक मिलाया वे
ख़ूब यार मासूक मिलाया वे।सुंदर स्याम नंद कौ छौना हँसि बतरान सुहाया वे॥
ब्रजनिधि
बादर झूम-झूमि बरसन लागे
बादर झूम-झूमि बरसन लागे।दामिनी चमकत चौंकि, स्याम घन गरजत सुनि-सुनि जागे॥
छीतस्वामी
षरज कहाँ से, रिषभ कहाँ से
गोपाल
हे घन स्याम, कहाँ घनस्याम
हे घन स्याम, कहाँ घनस्याम।रज मँडराति चरन-रज कित सों सीस धरैं अठजाम॥
सत्यनारायण कविरत्न
है है उर्दू हाय
है है उर्दू हाय। कहां सिधारी हाय-हाय॥मेरी प्यारी हाय हाय। मुंशी मुल्ला हाय-हाय॥
भारतेंदु हरिश्चंद्र
आगैं गांइ पांछे गांई
आगैं गांइ पांछे गांई, इत-गाईं उत-गांईं,गोविंद कौं गांइनि में बसिबोई भावै।
छीतस्वामी
तुम सों क्यों कहौं ब्रजनाथ
तुम सों क्यों कहौं ब्रजनाथ।मोहू को अति गिरा गद्गद देखि विरह अनाथ॥
चतुर्भुजदास
किये सपथ कहुँ तोहिं प्राणप्रिया
किये सपथ कहुँ तोहिं प्राणप्रिया निज हीय की।अस न अपन पौ मोहिं जैसे प्रिय तुम लगति हौ॥
बाल अली
स्याम सुंदर रैन कहां जागे
स्याम सुंदर रैन कहाँ जागे।देखि बिन गुणमाल अधर अंजन भाल जावक लग्यो गाल पीक लागे।
कुंभनदास
सुत सुन एककथा कहुं प्यारी
सुत सुन एककथा कहुं प्यारी।नंद नंदन मन आनंद उपज्यो रसिक सिरोमनि देत हुंकारी॥
परमानंद दास
प्रीति तो काहूं नहिं कीजै
प्रीति तो काहूं नहिं कीजै।बिछुरै कठिन परै मेरो आली कहौ कैसे करि जीजै॥