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रुम-झुम भरि आये री नयना तिहारे

rum jhum bhari aaye ri nayana tihare

तानसेन

तानसेन

रुम-झुम भरि आये री नयना तिहारे

तानसेन

और अधिकतानसेन

    रुम-झुम भरि आये री नयना तिहारे।

    बिथुरी सी अलकैं स्याम घन सी लागत,

    झपकि-झपकि उघरत मेरे जान तारे॥

    अरुन बरन नैंना तेरे, तामैं लाल डोरे,

    ता पर अंबुज बारि-बारि डारे।

    कहै ‘मियाँ तानसेन’ सुनौ साह अकबर,

    उपमा कहाँ लौं दीजै, बिन अंजन कजरारे॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : संगीत-सम्राट तानसेन (पृष्ठ 105)
    • संपादक : प्रभुदयाल मीतल
    • रचनाकार : तानसेन
    • प्रकाशन : साहित्य संस्थान
    • संस्करण : 1960

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