रुम-झुम भरि आये री नयना तिहारे
rum jhum bhari aaye ri nayana tihare
रुम-झुम भरि आये री नयना तिहारे।
बिथुरी सी अलकैं स्याम घन सी लागत,
झपकि-झपकि उघरत मेरे जान तारे॥
अरुन बरन नैंना तेरे, तामैं लाल डोरे,
ता पर अंबुज बारि-बारि डारे।
कहै ‘मियाँ तानसेन’ सुनौ साह अकबर,
उपमा कहाँ लौं दीजै, बिन अंजन कजरारे॥
- पुस्तक : संगीत-सम्राट तानसेन (पृष्ठ 105)
- संपादक : प्रभुदयाल मीतल
- रचनाकार : तानसेन
- प्रकाशन : साहित्य संस्थान
- संस्करण : 1960
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