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सोने की एक लता तुलसी बन
केशवदास
सोने की कटार पर मुग्ध होकर उसे कोई
सोने की कटार पर मुग्ध होकर उसे कोई अपने हृदय में डुबा नहीं सकता।
जयशंकर प्रसाद
सोने की सी डार सुकुमार वारे हैं सेवार
सोने की सी डार सुकुमार वारे हैं सेवार,सुंदर सुढार कटि मूठी में समानी है।
सुंदर
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विसर्जन के लिए सुंदरवन में सोने की नाव
राहत के सामान से भरी सोने की नावचलती जाती है सुंदरी घाट की ओर
नवारुण भट्टाचार्य
सोने को शरीर तामे लोहे की न लागे कील
सोने को शरीर तामे लोहे की न लागे कील,नदि के किनारे कब तक इतरावोगे।
निपट निरंजन
सोने के चूरन मैं चमकै
सोने के चूरन मैं चमकै किरचै सी उठ छवि पुंज झवा के।हाथन लेन बिरी लटकै मखतूल के फूलन जोर जवा के।
गंग
सोने से पहले
सोने से पहले मैं सुबह के अख़बार समेटता हूँदिन भर की सुर्ख़ियाँ परे खिसका देता हूँ
मंगलेश डबराल
सोने के चूरन में चमकें किरचें
गंग
सोने पग पैंजनी मढ़ाय चोंच सोन ही सों
सोने थार भोजन पियाय पय सोने जाम,सोनचिरी जोरी हेत ब्योंत करि राखौंगी॥
पंडित युगलकिशोर मिश्र
भोजपुरी लोकगीत : सोने के थारी में जेवना परोसलों
सोने के थारी में जेवना परोसलों, जेवना न जेवे हो।सखिया, साझे भए बेरी बिसवे, सामी घरे ना अइलें हो।।1।।
भोजपुरी लोकगीत : सोने मउरि लागि रूसेले कवन दुलहा
सोने मउरि लागि रूसेले कवन दुलहा,कीनि द बाबा हो, हमसे सोने के मउरिया।।1।।
पुनः धधकते अभ्यंतर ने सोने नहीं दिया
पुनः धधकते अभ्यंतर ने सोने नहीं दियाऔर दर्द ने ही बहलाया, रोने नहीं दिया
कृष्ण मुरारी पहारिया
सुनि परमित पिय प्रेम की
सुनि परमित पिय प्रेम की, चातक चितवति पारि।घन आशा सब दुख सहै, अंत न याँचै वारि॥