सोने पग पैंजनी मढ़ाय चोंच सोन ही सों
sone pag painjni maDhay chonch son hi son
पंडित युगलकिशोर मिश्र
Pandit Yugalkishor Mishra
सोने पग पैंजनी मढ़ाय चोंच सोन ही सों
sone pag painjni maDhay chonch son hi son
Pandit Yugalkishor Mishra
पंडित युगलकिशोर मिश्र
और अधिकपंडित युगलकिशोर मिश्र
सोने पग पैंजनी मढ़ाय चोंच सोन ही सों,
सोने के अवास बास तेरो अभिलाखौंगी।
सोने थार भोजन पियाय पय सोने जाम,
सोनचिरी जोरी हेत ब्योंत करि राखौंगी॥
जो पै ब्रजराज कान आनि है न बानि तू,
प्रभात जानिबे की तौ न नेकु मन माखौंगी।
पच्छी ह्वै कै पच्छी तू विपच्छिन विपच्छी करु,
एरे तामचूर सोनचूर तोहिं भाखौंगी॥
- पुस्तक : साहित्य प्रभाकर (पृष्ठ 489)
- संपादक : महालचंद बयेद
- रचनाकार : पंडित युगलकिशोर मिश्र
- प्रकाशन : ओसवाल प्रेस कलकत्ता
- संस्करण : 1937
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