देहु शिवा वर मोहि इहै
dehu shiwa war mohi ihai
देहु शिवा वर मोहि इहै, शुभ कर्मन ते कबहूँ न टरौं।
न डरौं अरि सों जब जाइ लरौं, निश्चय कर अपनी जीत करौं।
अब सिख हौं अपने ही मन कौ, इह लालच हौं गुण तौ उचरौं।
जब आवकी अउध निदान बनै, अतही रण में तब जूझ मरौं॥
- पुस्तक : चंडीचरित (पृष्ठ 92)
- रचनाकार : गुरु गोविंद सिंह
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