अलि आजु मरू करि नींद परै
ali aaju maru kari neend parai
पंडित युगलकिशोर मिश्र
Pandit Yugalkishor Mishra
अलि आजु मरू करि नींद परै
ali aaju maru kari neend parai
Pandit Yugalkishor Mishra
पंडित युगलकिशोर मिश्र
और अधिकपंडित युगलकिशोर मिश्र
अलि आजु मरू करि नींद परै पै बढ्यो तन तापन को तपनो।
ब्रजराज जू आनि गह्यो कर मेरो लयो मन मानहीं को जपनो॥
अति रोष की ज्यों परिपाटी सो खैंच्यो लग्यो कर पाटी सो त्यों अपनो।
उमगी बिथा औचक जागि परी सपने को मिलाप भयो सपनो॥
- पुस्तक : साहित्य प्रभाकर (पृष्ठ 487)
- संपादक : महालचंद बयेद
- रचनाकार : पंडित युगलकिशोर मिश्र
- प्रकाशन : ओसवाल प्रेस कलकत्ता
- संस्करण : 1937
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