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सुरत पनिहारी सतगुरु प्यारी

surat panihari satguru pyari

संत शिवदयाल सिंह

संत शिवदयाल सिंह

सुरत पनिहारी सतगुरु प्यारी

संत शिवदयाल सिंह

और अधिकसंत शिवदयाल सिंह

    सुरत पनिहारी सतगुरु प्यारी चली गगन के कूप॥

    प्रेम डोर ले पनघट आई भरी गगरिया ख़ूब॥

    शब्द पिछान अमीरस पागी देखा अद्भुत रूप॥

    नगर अजायब मिला डगर में जहाँ छाँह नहिं धूप॥

    पहुँची जाय अगम पुर नामी दरस किया राधास्वामी भूप॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : संत काव्य-धारा (पृष्ठ 345)
    • संपादक : परशुराम चतुर्वेदी
    • रचनाकार : संत शिवदयाल
    • प्रकाशन : किताब महहल, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1981

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