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तिरथ में बहुत हम खोजा

tirath me.n bahut ham khoja

पलटू

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तिरथ में बहुत हम खोजा

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और अधिकपलटू

    तिरथ में बहुत हम खोजा, उहाँ तो नाहिं कुछ पाया।

    मूरति को पूजि पछिताने, नजर में नाहिं कुछ आया॥

    मुए हम बर्त के करते, बेद को सुना चित लाई।

    जोग जुगति करि थाके, सजन की खबर नहिं पाई॥

    किया जप तप फेरि माला, खोजा षट दरस में जाई।

    कोई ना भेद बतलावै, सबै सतसंग गुहराई॥

    परे जब संत के द्वारे, संत ने आप सब कीन्हा।

    दास पलटू जभी पाया, गुरु के चरन चित लाया॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : पलटू साहेब की बानी (पृष्ठ 442)
    • संपादक : अभिलाषा दास
    • रचनाकार : पलटू
    • प्रकाशन : कबीर आश्रम, कबीर नगर, इलाहाबाद
    • संस्करण : 2012

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