साईं तेरो भजन ना हम जाना
sain tero bhajan na hum jana
साईं तेरो भजन ना हम जाना, ता तें बार-बार पछिताना।
भजन करंते दास मलूका, नाम भजन जिन्ह जाना।
दीनदयाल भक्तहितकारी, लैहौ रे परवाना॥
गोपी ग्वाल भजन कहि गोकुल, सुरपति इंद्र रिसाना।
दीनदयाल सरन की लज्या, छत्र गोबर्धन ताना॥
कुतबदीन अजि भयो औलिया, औ मनसूर दिवाना।
तेरे नाम भजन के कारन, बलख तजा सुलताना॥
भजन बखानत सुनत सबद, इक भइ अवाज असमाना।
दूलनदास भजन करि निर्भय, रहु चरनन लपटाना॥
- पुस्तक : संतबानी (पृष्ठ 15)
- रचनाकार : दूलनदास
- प्रकाशन : प्रोप्रैटर वेलवेडियर छापाखाना इलाहाबाद
- संस्करण : 1914
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