Font by Mehr Nastaliq Web

पिया दरस बिना

piya daras bina

तुलसी साहब

तुलसी साहब

पिया दरस बिना

तुलसी साहब

पिया दरस बिना दीदार दरद दुख भारी।

बिन सतगुरु के धृग जीवन संसारी॥

क्या जनम लिया जग माहिं मूल नहिं जाना।

पूरन पद को छाँड़ किया जुलमाना॥

जुग जुग में जीवन मरन आज नर देही।

सुख सम्पत्ति में पार पुरूष नहिं सेई॥

जग में रहना दिन चार बहुर मरना री।

बिन सतगुरु के धृग जीवन संसारी॥

प्रीतम के दर्शन के बिना, आँखें तड़पती हैं और मन में भारी दुख है। बिना सतगुरु के, जीवों का संसार में जीना धिक्कार लानत के योग्य है। यदि सार सत्य का भेद नहीं जाना तो इस संसार में जन्म लेकर आना ही वृथा है। पूरन पद यानी सत्तलोक छोड़ कर इस संसार में आकर इसने अपने जीव के प्रति जुल्म अत्याचार ही किया है, यानी इसने अपने जीव के कल्याण के लिए कुछ नहीं किया और असंख्य युगों तक जन्म-मरन के चक्कर और आवागमन में घूमता रहा। अब सौभाग्य से इसे नर देही मिली है किंतु सुख और धन संपत्ति प्राप्त करके इसने सतगुरु की सेवा नहीं की। अब संसार में जीवित रहने के लिए चंद दिन ही बचे हैं, इसके बाद इसे फिर मरना पड़ेगा, यानी जन्म-मरण के चक्कर में फिर जाना पड़ेगा।

स्रोत :
  • पुस्तक : तुलसी साहब (हाथरस वाले) की बानी (पृष्ठ 77)
  • संपादक : ज्ञान दास माहेश्वरी
  • रचनाकार : तुलसी साहब
  • प्रकाशन : स्वामी बाग, आगरा

संबंधित विषय

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY