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पूजा और सेवा कर घंट बजावे

puuja aur seva kar gha.nT bajaave

तुलसी साहब

तुलसी साहब

पूजा और सेवा कर घंट बजावे

तुलसी साहब

और अधिकतुलसी साहब

    पूजा और सेवा कर घंट बजावे।

    कर-कर पाखंड लोग बहुत रिझावे॥

    तन के तत मंदिर को देखो जाई।

    आतम सा देव जाहि पूजो भाई॥

    पाहन की मूरत का झूँठ पसारा।

    पूजें मूरख बेहोश जनम बिगारा॥

    अरधे और उरधे बिच कर ले मेला।

    तुलसी मुश्ताक मेहर अद्भुत खेला॥

    तुलसी साहब फ़रमाते हैं कि लोग बावले मंदिरों में जाकर मूर्ति पूजा सेवा करते हैं और वहाँ पर घंटा बजाते हैं और अनेक तरह के पाखंड कर लोगों को आकर्षित प्रसन्न करते हैं। हे भाई! अपना तन ही सच्चा मंदिर है। उसमें प्रवेश करके देखो कि वहाँ पर आत्मा रूपी देव विराजमान है, उसकी पूजा करो। पत्थर की मूर्ति की पूजा करना मिथ्या असार है। जो लोग उनकी पूजा करते हैं, वे मूर्ख और अचेत हैं। उन्होंने अपना मनुष्य जीवन मुफ़्त में बर्बाद कर दिया। तुलसी साहब कहते हैं कि यदि तुझे मालिक की मेहर प्राप्त करने और इस अद्भुत खेल को देखने का विशेष शौक है, तो अर्ध और उर्ध यानी घट और औघट के बीच, अपने अंतर में, जहाँ शब्द की धार रही है, उससे मेल संपर्क कर ले, तो तेरा काज बन जाएगा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : तुलसी साहब (हाथरस वाले) की बानी (पृष्ठ 57)
    • संपादक : ज्ञान दास माहेश्वरी
    • रचनाकार : तुलसी साहब
    • प्रकाशन : स्वामी बाग, आगरा

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