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जिवड़ा जाय कहा तूँ रहसी वे

jiwDa jay kaha toon rahsi we

हरिदास निरंजनी

हरिदास निरंजनी

जिवड़ा जाय कहा तूँ रहसी वे

हरिदास निरंजनी

और अधिकहरिदास निरंजनी

    जिवड़ा जाय कहा तूँ रहसी वे।

    करणहार करतार जांणयौ, सलिल मोह संगि बहसी वे॥

    काची परख सराफी खोटी, ता तैं परदुख सहसी वे।

    राम नाम निज भेद जाणयों, काल चटा तैं गहसी वे॥

    हरि प्रीतम सूँ प्रीति बांधी, झूठ तहाँ जाइ ठहसी वे।

    जब जम आया झूठ बिलाया, रसन तालवै फहसी वे॥

    जब इहि जीवड़ै किया पयाणा, बहुड़ि यहु तन लहसी वे।

    जन हरीदास माया अपराधिणि, बहौत भांति करि दहसी वे॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : महाराज हरिदासजी की वाणी
    • संपादक : मंगलदास स्वामी
    • प्रकाशन : निखिल भारतीय निरंजनी महासभा
    • संस्करण : 1962
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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