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जो जन तुमरी भगति करंते

jo jan tumri bhagti karante

धन्ना भगत

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जो जन तुमरी भगति करंते

धन्ना भगत

और अधिकधन्ना भगत

    जो जन तुमरी भगति करंते।

    तिनके काज सवाँरता॥

    दालि सीधा मागउ घीउ।

    हमरा खुसी करै नित जीउ॥

    पन्हीआ छादनु नीका।

    अनाजु मगउ सत सी का॥

    गऊ भैस मगउ लावेरी।

    इक ताजनि तुरी चंगेरी॥

    घर की गीहनि चंगी।

    जनु धंना लेवै मंगी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : धन्नाभगत पैनोरमा
    • रचनाकार : धन्ना भगत
    • प्रकाशन : धुंवाकला

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