Font by Mehr Nastaliq Web

निंदरिया मोरी बैरिन भई

nindariya mori bairin bhai

पलटू

पलटू

निंदरिया मोरी बैरिन भई

पलटू

और अधिकपलटू

    निंदरिया मोरी बैरिन भई॥टेक॥

    कि कोइ जागै जोगी भोगी, कि राजा की चोर।

    कि कोई जागै संत बिबेकी, लगन राम की ओर॥

    जागे से परलोक बनतु है, सोये बड़ दुख होय।

    सतगुरु लीन्हे जो जन जागै, करतम करता होय॥

    स्वारथ लीन्हे सब जग जागै, परमारथ जगै कोय।

    परमारथ को जो जन जागै, भजन बंदगी होय॥

    काम क्रोध लीन्हे जो जागै, गए ज़िंदगी खोय।

    ज्ञान खरग लिहे पलटू जागै, होनी होय सो होय॥

    माया-मोह की नींद मेरी शत्रु हो गयी। योगी जागता है; भोगी, राजा और चोर भी जागते हैं अथवा वे कोई संत विवेकी जागते हैं जिनकी लगन अंतरात्मा से हो जाती है। मोह-माया से सावधान होकर उससे हटने से शाश्वत शांति मिलती है और मोह-माया में डूबने से बड़ा दुख होता है। सद्गुरु से आत्मबोध पाकर जो जागता है, वह कृत्रिम से कर्ता हो जाता है—अबोध में जो स्वयं को कठपुतली समझता था, आत्मबोध हो जाने पर वह समझ लेता है कि मैं अपने कर्मों का कर्ता-विधाता हूँ। भोग-स्वार्थ के लिए तो सारा संसार जागरूक है, पर-सेवा और आत्मा के कल्याण के लिए बहुत कम लाग जागरूक होते हैं। जो लोग अपने आत्मा का उद्धार करते हैं और दूसरों की सेवा करते हैं उन्हीं की भजन-बंदगी सच्ची है। जो लोग काम-क्रोधादि में पड़े उन्हीं में बढ़े-चढ़े हैं, उनका जीवन नष्ट हो जाता है। पलटू साहेब कहते हैं कि मैं आत्मज्ञान की तलवार लेकर सावधान हूँ। इसका परिणाम माया पर विजय और आत्मशांति निश्चित है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : पलटू साहेब की बानी (पृष्ठ 450)
    • संपादक : अभिलाषा दास
    • रचनाकार : पलटू
    • प्रकाशन : कबीर आश्रम, कबीर नगर, इलाहाबाद
    • संस्करण : 2012

    संबंधित विषय

    यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Rekhta Gujarati Utsav I Vadodara - 5th Jan 25 I Mumbai - 11th Jan 25 I Bhavnagar - 19th Jan 25

    Register for free