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होरी सो खेलै जा के सतगुरु ज्ञान बिचार

horii so khelai ja ke satguru j~na.aan bichaar

भीखा साहब

भीखा साहब

होरी सो खेलै जा के सतगुरु ज्ञान बिचार

भीखा साहब

और अधिकभीखा साहब

    होरी सो खेलै जा के सतगुरु ज्ञान बिचार।

    यहि सिवाइ जो और करतु है, ता को जन्म खुवार॥

    इँगल पिंगल ह्वै सुन्न भँटानो, सुखमन भयो उँजियार।

    नूर जहूर बदन पर झलकत, बरखत अधर अधार॥

    बाजत अनहद घंटा तहँ धुनि, अबिगत सब्द अपार।

    पुलकि पुलकि मन अनुभव गावत, पावत अलख दिदार॥

    अजर अबीर कुमकुमा केसरि, उमगो प्रेम पोखार।

    राम नाम रस रंग भयो, गत काम क्रोध हंकार॥

    ब्यापक पूरन अगम अगोचर, निज साहब बिस्तार।

    भीखा बोलत एक सभन में, है जग सकल हमार॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : भीखा साहब की बानी (पृष्ठ 42)
    • रचनाकार : भीखा साहब
    • प्रकाशन : बेलवेडियर प्रेस, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1919

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