भजहु नाम मोरि लगन सुधारन
bhajahu nam mori lagan sudharan
भजहु नाम मोरि लगन सुधारन,
पूरन ब्रह्म अखिल जग कारन।
अर्ध नाम की सुरति करत मन,
करुना-कंद गजंद-उबारन॥
लाउ जिकिरि मन फिकिरि फरक करु,
नाम सदा जन संकट टारन।
द्रुपदी लज्या के रखवारे,
जन प्रहलाद कि पैज सँभारन॥
होहु निडर मन सुमिरि नाम अस,
सर्म रु कर्म कुअंक भिजारन।
दूलनदास के साईं जगजीवन,
दिहिन नाम आवागवन निवारन॥
- पुस्तक : संतबानी (पृष्ठ 4)
- रचनाकार : दूलनदास
- प्रकाशन : प्रोप्रैटर वेलवेडियर छापाखाना इलाहाबाद
- संस्करण : 1914
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