Font by Mehr Nastaliq Web

गगन तार गनत गइ रतिआ

gagan tar ganat gai ratia

संत शिवनारायण

संत शिवनारायण

गगन तार गनत गइ रतिआ

संत शिवनारायण

और अधिकसंत शिवनारायण

    गगन तार गनत रतिआ॥ टेक॥

    गगन गहागह अनहद बाजत, बरसत अमृत धार।

    जो जन पीवै सोइ जन जीवै, मान गुमान हकार किरतिआ॥

    गगन बीच भरि मकर तार धरि, चढ़ि गए चतुर सुजान।

    अजपा जाप जाहिर भयो जब ते, बिसरि गये दारा सुत नतिआ॥

    करनी काम किए जग जबते, करता तीनि सुभाव।

    इंगला पिंगला सुषमना सुरते, कटि गए काल कराल कुमतिआ॥

    पिय परदेस उदेस पावों, पिय बेलमें केहि भाव।

    का करों लोभी पिया जैसो रहि गयो, राखि पराई थतिया॥

    जो पिया पावों अंक भरि लावों, निज परतीत बढ़ाय।

    तबहीं सुहागिनी प्रान पुरुष की, चढ़ि मैदान लड़ी सुरा छतिआ॥

    जो आया सो जात देखा, कहाँ बार कहाँ पार।

    जनमत मरत हाट एक देखा, बकता सांच झूठ दुइ बतिआ॥

    बेद पुरान बरन बहु बरनत, भिंन-भिंन करि भाग।

    सो सुनि भूले मुरुख गंवारा, भटकत फिरहिं जगत भलिभंतिआ॥

    केहु नाहिं हीत बंधु एहि जगमें, सभै बिराना लोग।

    जात बनै अकेला जाना, खोजत मिलै केहु संगतिआ॥

    शीवनरायन सुरति निरंतर, निरखि आपनो लीन्ह।

    बैठ तखत अमल करि अपना, कहि दिन चलहु मुक्ति की गतिआ॥

    गगन तार गनत गइ रतिआ॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : संत काव्य-धारा (पृष्ठ 304)
    • संपादक : परशुराम चतुर्वेदी
    • रचनाकार : संत शिवनारायण
    • प्रकाशन : किताब महल, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1981

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए