सिरि-थूलिभद्द फागु (द्वितीय भास)
siri thulibhadd phagu (dwitiy bhas)
झिरिमिरि झिरिमिरि झिरिमिरि ए मेहा वरिसंते
खलहल खलहल खलहल ए वाहला वहंते॥
झबझब झबझन झबझब ए वीजुलिय झब्बक्कइ
थरहर थरहर थरहर ए विरहिणि-मणु कंपइ॥६॥
महुर-गंभीर-सरेण मेह जिम जिम गांजते।
पंचबाण निय कुसुम-बाण तिम तिम सांजते॥
जिम जिम केतकि महमहंत परिमल विहसावइ
तिम तिम कामिय चरण लग्गि निय रमणि मनावइ॥७॥
सीयल-कोमल-सुरहि वाय जिम जिम वायंते
माणमडफ्फर माणणिय तिम तिम नाचंते॥
जिम जिम जल-भर-भरिय मेह गयणंगणि मिलिया
तिम तिम पंथिय-तण नयणा नीरिहिं झलहलिया॥८॥
मेहावभरऊलटि य जिम जिम नाचइ मोर
तिम तिम माणिणि खलभलइ साहीता जिम चोर॥९॥
- पुस्तक : आदिकाल की प्रामाणिक रचनाएँ (पृष्ठ 149)
- संपादक : गणपति चंद्र गुप्त
- रचनाकार : जिन पद्म सूरि
- प्रकाशन : नेशनल पब्लिशिंग हॉउस
- संस्करण : 1976
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