Font by Mehr Nastaliq Web

पंचपंडव चरित रासु (ठवणि ३)

panchpanDaw charit rasu (thawani ३)

शालिभद्र सूरि

शालिभद्र सूरि

पंचपंडव चरित रासु (ठवणि ३)

शालिभद्र सूरि

और अधिकशालिभद्र सूरि

    पुन्नप्रभाविहिं पामीयउ पहिंलुं कुंतादेवि

    पुन्नमणोरहु पुत्त पुण सुमिणां पंच लहेवि॥

    दीठउ सुरगिरि क्षीरहरो सुमिणइ सिरिरविचंद

    जनमि युधिष्ठिरराय तणइ मिलीया सुरवइबिंद॥

    गयणंगणि वाणी पडीय ‘खमि दमि संजमि एकु

    धरगपूतु जगि ऊपनउ सत्यसीलि सुविवेकु’॥

    रोपीउ पवणिहिं कलपतरो सुमिणइ कुंतिदूयारि।

    पवणह नंदणु वज्जमओ भीमु सु भूयण मझारि॥

    त्रीसे मासे जाईयउ दुमीय देवि गंधारि

    दिवसि अधुरे ऊपनओ दुर्योधनु संसारि॥

    दसह दसारह बहिनडीय त्रीजउं धरइ आधानु

    ‘दाणव दल सवि निद्दलउं मनि एवडु अभिमानु

    ‘धनुषु चडावीउ भूयणि भमउं' इच्छा छइ मन माहि

    बइठउ दीठउ हाथिणीयं सुरवइ सुमिणा माहि॥

    जनम महोछवु सुर करइं नाचइं अपछरबाल

    दुं दुहि वाजइं गयणवले धरणिहिं ताल कंसाल॥

    गयणह वाणी ऊछलीय ‘अरजुन इंद्रह पूत्तु

    धनुषबलिं धंधोलिसीए दुरयोधन घरसूतु'॥

    नकुलु अनइ सहदेवु भडो जुअलइ जाया बेउ

    प्रभु चंदप्रभु थापीयउ नासिकि कूंतीदेउ॥

    सउ बेटां धयराठघरे पंडु तणइ घरि पंच

    दुर्योधनु कउतिग करए कूडा कवडप्रपंच॥

    अन्नदिणंतरि गिरिसिहरे राजा रमलि करेइ

    कुंतीकरयल अडवडिउ रडयड भीमु रुडेइ॥

    पाहणि पाहणि आफलीउ बाल दूमीउ देहु

    पाहण सवि चूनउ हूयए केवडु कउत्तिगु एहू॥

    गयणह वाणी आपीयउ आगइ वज्रसरीरू

    वाधइं पंचइ चंद जिम पंडव गुणगंभीर॥

    भीमु भीडंतउ जमणतडे कूटइ कुरववीर

    पाडइ द्रउडइ भेडवइ बांधीय बोलइ नीरि॥

    दुरयोधनु रोसिहिं चडीउ बोलइ “सांभलि भीम

    तुं मुझ बंधव कूटतउ मरि अछूटइ ईम”॥

    भीमि भिडिउ भद्र पांडीयउ बांधीउ घालिउ नीरि

    जागिउं त्रोडइ बंध बलिं नवि दूमिइ सरीरि॥

    विसु दीध उं दुरयोधनिहिं भीमह भोजन माहि

    अमृतु हूई नइ परिणमिउ पुन्निहि दुरिइ पुलाइ॥

    अतिरथि सारथि तहि वसए राय तणइ घरिसूत्तु

    राधा नामिहिं तसु घरणि करणु भणुं तसु पुत्तु॥

    सउ कूंयर पंचग्गलउं किवहरि पढिवा जाइ

    धीरु वीरु मति आगलउं करण पढइ तिणि ठाइ॥

    दडा लगइ गुरू भेटीउ द्रोणु सु बंभणवेसि।

    तेह पासि विद्या पढइ कूपगुर नइं उपदेसि॥

    ॥वस्तु॥

    तींह कूंयरह तींह कूंयरह माहि दो बीर

    इकु अरजुनु आगलऊ अनइ करणु हीयइ हरालउ

    गुरकूवइं विणयह लगइ धदुहवेणु दीधउ सरालउ

    किसुं हूइ गुरभगति लगइ माटि नउ गुरू किद्धु

    अहनिसि गुरू आराधतउ एकलव्यु हूउ सिद्धु॥

    गुरु परिक्खइ गुरु परिक्खइ अन्नदीहंमि

    दुरयोधनपमुह सवि रायकूंयर वण माहि लेविणु

    सारींगु मिल्हि करि तालरूख सिरि लखु देविणु

    तीणं परीक्षां गुर तणी पूगउ एकु जु पत्थु

    राहावेहु तउ सिखवइ मच्छइ देविण हत्थु॥

    एक वासरि एक वासरि कूंयर नइ माहि

    गुरि सरिसा जलि तरइं द्रोणचलण जलजीवि लिद्धउ

    कूं यरपरीक्षा तणइ मिसिं गुरिहिं कूड पोकारू किद्धउ

    धायउ अरजुनु धणुह धरु अवर नधाया केइ

    मेल्हाविउ गुरचलणु तसु गुरू किम नवि तूसिइ॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : आदिकाल की प्रामाणिक रचनाएँ (पृष्ठ 100)
    • संपादक : गणपति चंद्र गुप्त
    • रचनाकार : शालिभद्र सूरि
    • प्रकाशन : नेशनल पब्लिशिंग हॉउसशा
    • संस्करण : 1976

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए