जो शिलाएँ तोडते हैं
1983
रफ़ी अहमद क़िदवई
1974
प्रगतिशील कविता के सौन्दर्य-मूल्य
बोले बोल अबोल
1985
पितृ-ऋण
लोहे की काट
राष्ट्रीय धरोहर
अपूर्वा
1984
कहें केदार खरी खरी
कालिदास के समधी
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जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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