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यात्रा वृत्तांत

यात्रा वृत्तांत आधुनिक कथेतर गद्य-विधा है। इसमें यात्रा के क्रम में गंतव्य और पड़ाव से जुड़े विशिष्ट तथ्यों और घटनाक्रमों का स्मृति, अनुभूति और अनुभव के सामंजस्य में सृजनात्मक उपयोग किया जाता है। हिंदी में यात्रा-वृत्तांत-लेखन की परंपरा भारतेंदु से आरंभ हुई जिसने द्विवेदी युग तक पहुँचकर नई साहित्यिक विधा का आकार ग्रहण कर लिया। राहुल सांकृत्यायन ने इस विधा को विशेष प्रतिष्ठा दी। अज्ञेय और नागार्जुन उनके साथ हिंदी साहित्य की ‘घुमक्कड़ बृहतत्रयी’ में शामिल हैं।