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संस्मरण

कथेतर गद्य की प्रमुख विधाओं में से एक संस्मरण अतीत की घटनाओं के साहित्यिक शब्दांकन की विधा है। स्मृति, आत्मीय संबंध, वैयक्तिकता, प्रामाणिकता, चित्रात्मकता, कथात्मकता, स्वयं के प्रति तटस्थता आदि इसकी कुछ प्रमुख प्रवृत्तियाँ स्वीकार की जाती हैं। हिंदी में संस्मरण-साहित्य का आरंभ द्विवेदी युग से हुआ जो छायावाद युग तक पहुँचकर पर्याप्त प्रौढ़ हो चला और साहित्यिक विधा के रूप में इसकी प्रतिष्ठा बढ़ी।

समादृत कवि-कथाकार-अनुवादक और संपादक। भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित।

समादृत उपन्यासकार-कथाकार। पटकथा-लेखन में भी योगदान। साहित्य अकादेमी-पुरस्कार से सम्मानित।

महान उर्दू शायर एवं पाकिस्तान के राष्ट्र-क़वि जिन्होंने 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा ' के अतिरिक्त 'लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी' जैसे गीत की रचना की

शुक्लोत्तर युग के प्रमुख कथाकार, एकांकीकार और उपन्यासकार। निम्न-मध्यमवर्गीय यथार्थ चित्रण के लिए उल्लेखनीय।

समादृत सोवियत भारतविद और साहित्यविज्ञ। स्वामी विवेकानंद पर शोध-कार्य के लिए उल्लेखनीय। पद्म भूषण से सम्मानित।

समादृत कहानीकार। साहित्य अकादेमी और भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित।

द्विवेदीयुगीन प्रमुख उपन्यासकार। जासूसी कथा-लेखन के लिए उल्लेखनीय।

सातवें दशक की प्रगतिशील धारा के प्रमुख कथाकार। ‘पहल’ पत्रिका के संपादक के रूप में समादृत।

सुपरिचित कवि और गद्यकार। 'इसी काया में मोक्ष' और 'इतिहास में अभागे' शीर्षक दो कविता-संग्रह प्रकाशित।

सुपरिचित कवि-लेखक। बाल-साहित्य में योगदान के लिए भी उल्लेखनीय।

समादृत कवि-कथाकार और अनुवादक। ‘धर्मयुग’ साप्ताहिक के संपादक के रूप में भी चर्चित।

आधुनिक काल के महत्त्वपूर्ण आलोचक, चिंतन-प्रधान निबंधकार और संपादक। हिंदी साहित्य के अद्यतन इतिहास के संपादन के लिए भी उल्लेखनीय।

सबसे प्रख्यात एवं प्रसिद्ध शायर. अपने क्रांतिकारी विचारों के कारण कई साल कारावास में रहे।

समादृत लेखक और संपादक। हिंदी में संस्मरण विधा के उभार में योगदान। छायावाद के विरोध के लिए चर्चित।

राष्ट्रकवि के रूप में समादृत कवि। ‘भारत भारती’ उल्लेखनीय काव्य-कृति।

छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक। कविता के साथ-साथ अपने रेखाचित्रों के लिए भी प्रसिद्ध। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

समादृत कथाकार-उपन्यासकार। भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम के प्रसिद्ध क्रांतिकारी। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

साठोत्तरी पीढ़ी के सुप्रसिद्ध गद्यकार। संपादक के रूप में उल्लेखनीय।

आलोचक और शिक्षाविद्। प्रेमचंद-साहित्य के गंभीर अध्येता। संस्मारणात्मक कृति 'मेरी चिताणी' के लिए चर्चित।

प्रगतिशील धारा से संबद्ध प्रमुख आलोचक और कवि। संस्मरण विधा में भी योगदान।

सुपरिचित कवि-आलोचक। व्यंग्य-आलोचना में योगदान के लिए उल्लेखनीय।

समादृत लेखक-व्यंग्यकार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।