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निबंध

हिंदी निबंध की आरंभिक परंपरा का निर्माण भारतेंदु युग के लेखकों से हुआ। राष्ट्रीय जागरण, मुद्रण-कला का प्रसार एवं पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन, गद्य की बढ़ती लोकप्रियता, अँग्रेज़ी साहित्य से संपर्क आदि ने बतौर विधा निबंध-साहित्य के उदय में प्रमुख भूमिका निभाई। विषय, शैली और भाषा में नवीन प्रयोगों के भारतेंदुयुगीन योगदान के बाद भाषा के मानकीकरण, चिंतन की प्रौढ़ता और शैली के परिष्करण के रूप में प्रमुख योगदान द्विवेदीयुगीन निबंधकारों का रहा। हिंदी निबंध-साहित्य में आचार्य रामचंद्र शुक्ल को केंद्रीय महत्त्व प्राप्त है जिन्होंने विचार, भाषा और शैली तीनों ही स्तरों पर इसे उच्चस्तरीय स्वरूप प्रदान किया। आचार्य शुक्ल ने निबंध को गद्य की कसौटी कहा है।

द्विवेदीयुगीन निबंधकार। ‘सरस्वती’ पत्रिका के संपादन और आलोचना में भी योगदान।

भारतेंदु युग के महत्त्वपूर्ण कवि, गद्यकार और संपादक। 'ब्राह्मण' पत्रिका से चर्चित।

सातवें दशक में उभरे कवि। अनुवाद, कला-आलोचना और संपादन में भी सक्रिय।