आलोचनात्मक लेखन
आलोचना किसी कृति, कृतिकार और उसके समय के मूल्यांकन की विधा है। मूल्यांकन की प्रक्रिया प्रतिमानों के निर्माण और फिर उसके आधार पर वास्तविक मूल्यांकन के दो पक्षों पर आधारित होती है। इन दोनों पक्षों को क्रमशः सैद्धांतिक और व्यवहारिक समीक्षा के रूप में जाना जाता है। नए मानदंडों की स्थापना के साथ आचार्य रामचंद्र शुक्ल को हिंदी आलोचना के इतिहास में केंद्रीय महत्त्व प्राप्त है। बतौर विधा आलोचना ने शुक्ल-पूर्व युग में प्रमुखता प्राप्त की और शुक्लोत्तर युग में इसका सर्वतोन्मुखी विकास हुआ।
समादृत कवि-कथाकार-अनुवादक और संपादक। भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
समादृत आलोचक, निबंधकार, साहित्य-इतिहासकार, कोशकार और अनुवादक। हिंदी साहित्य के इतिहास और आलोचना को व्यवस्थित रूप प्रदान करने के लिए प्रतिष्ठित।
काशीप्रसाद जायसवाल
शुक्ल युग के सुप्रसिद्ध निबंधकार-समालोचक। साहित्य हेतु दर्शन-संबंधी युक्तियों के प्रयोग के लिए उल्लेखनीय।
सुप्रसिद्ध आलोचक और व्याख्याकार। कबीर और जायसी के अध्येता के रूप में उल्लेखनीय।
चार्ल्स फाबरी
पुरातत्वविद और कला-इतिहासकार। भारतीय कला-समीक्षा में उल्लेखनीय योगदान।
जगदीशचंद्र माथुर
जैनेंद्र कुमार
प्रेमचंदोत्तर युग के समादृत कथाकार, उपन्यासकार और निबंधकार। गद्य में मनोविश्लेषणात्मक परंपरा के प्रवर्तक।
देवीशंकर अवस्थी
सुप्रसिद्ध आलोचक, रंग-समीक्षक और गद्यकार। उनकी स्मृति में ‘देवीशंकर अवस्थी स्मृति सम्मान’ प्रदान किया जाता है।
आधुनिक काल के महत्त्वपूर्ण आलोचक, चिंतन-प्रधान निबंधकार और संपादक। हिंदी साहित्य के अद्यतन इतिहास के संपादन के लिए भी उल्लेखनीय।
नेमिचंद्र जैन
अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तार सप्तक’ के कवि। आलोचना और नाट्य-समीक्षा में भी सक्रिय रहे।
नलिन विलोचन शर्मा
समादृत कवि-आलोचक। ‘नकेनवाद’ आंदोलन के तीन सूत्रधारों में से एक।
नामवर सिंह
अत्यंत समादृत भारतीय लेखक। हिंदी आलोचना के शीर्षस्थ आलोचक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।
निर्मल वर्मा
समादृत उपन्यासकार-कथाकार और निबंधकार। भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित।
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
द्विवेदीयुगीन निबंधकार। ‘सरस्वती’ पत्रिका के संपादन और आलोचना में भी योगदान।
प्रभाकर माचवे
अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तार सप्तक’ के कवि। कथा-लेखन में भी सक्रिय रहे।
हिंदी कहानी के पितामह और उपन्यास-सम्राट के रूप में समादृत। हिंदी साहित्य में आदर्शोन्मुख-यथार्थवाद के प्रणेता।
सुप्रसिद्ध आलोचक और विद्वान प्राध्यापक। भक्ति और छाया काव्य पर चिंतन के लिए उल्लेखनीय।
बलदेव उपाध्याय
हिंदी-संस्कृत के विद्वान्, साहित्य-इतिहासकार, निबंधकार और समालोचक। हिंदी में संस्कृत साहित्य पर चिंतन के लिए उल्लेखनीय।
बालकृष्ण भट्ट
भारतेंदुयुगीन प्रमुख निबंधकार, गद्यकार और पत्रकार। गद्य-कविता के जनक और ‘प्रदीप’ पत्रिका के संपादक के रूप में समादृत।
भोलाशंकर व्यास
महावीर प्रसाद द्विवेदी
युगप्रवर्तक साहित्यकार-पत्रकार। ‘सरस्वती’ पत्रिका के संपादक के रूप में हिंदी नवजागरण में महत्त्वपूर्ण योगदान।
मोहन राकेश
नई कहानी दौर के प्रसिद्ध कथाकार। नाट्य-लेखन के लिए भी प्रख्यात। संगीत नाटक अकादमी से सम्मानित।
राजेंद्र यादव
‘नई कहानी’ आंदोलन के प्रमुख कहानीकार-उपन्यासकार। ‘हंस’ पत्रिका के संपादक के रूप में चर्चित। लेखन के शुरुआती दौर में एक कविता-संग्रह 'आवाज़ तेरी है' शीर्षक से प्रकाशित।
रामअवध द्विवेदी
रामबक्ष जाट
आलोचक और शिक्षाविद्। प्रेमचंद-साहित्य के गंभीर अध्येता। संस्मारणात्मक कृति 'मेरी चिताणी' के लिए चर्चित।
रामस्वरूप चतुर्वेदी
सुप्रसिद्ध काव्य-आलोचक और साहित्य-इतिहासकार। व्यास सम्मान से सम्मानित।
राहुल सांकृत्यायन
वासुदेवशरण अग्रवाल
भारत के इतिहास, संस्कृति, कला एवं साहित्य के अधिकारी विद्वान। साहित्य अकादमी से पुरस्कृत।
श्याम बिहारी मिश्र
इतिहासकार, आलोचक और निबंध लेखक। 'मिश्र बंधु विनोद' के रचनाकारों में से एक।
सैम्युअल मथाई
शिक्षाविद, आलोचक, कला-समीक्षक, अनुवादक और रेडियो वार्ताकार।
सुरेंद्र चौधरी
सुप्रसिद्ध आलोचक। कहानी आलोचना में अपने योगदान के लिए उल्लेखनीय।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक। समादृत कवि-कथाकार। महाप्राण नाम से विख्यात।
हजारीप्रसाद द्विवेदी
समादृत समालोचक, निबंधकार, उपन्यासकार और साहित्य-इतिहासकार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।