Font by Mehr Nastaliq Web
noImage

विक्रम

रीतिकालीन कवि। शृंगार और प्रेम की भावभूमि के सुंदर दोहों के लिए स्मरणीय।

रीतिकालीन कवि। शृंगार और प्रेम की भावभूमि के सुंदर दोहों के लिए स्मरणीय।

विक्रम की संपूर्ण रचनाएँ

दोहा 20

नील वसन दरसत दुरत, गोरी गोरे गात।

मनौ घटा छन रुचि छटा, घन उघरत छपि जात॥

  • शेयर

राते पट बिच कुच-कलस, लसत मनोहर आब।

भरे गुलाब सराब सौं, मनौ मनोज नबाब॥

  • शेयर

कहँ मिसरी कहँ ऊख रस, नहीं पियूष समान।

कलाकंद-कतरा कहा, तुव अधरा-रस-पान॥

  • शेयर

तरल तरौना पर लसत, बिथुरे सुथरे केस।

मनौ सघन तमतौम नै, लीनो दाब दिनेस॥

  • शेयर

सेत कंचुकी कुचन पै, लसत मिही चित चोर।

सोहत सुरसरि धार जनु, गिरि सुमेर जुग और॥

  • शेयर

Recitation

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए