संपूर्ण
कविता5
गीत4
लेख3
वीडियो83
यात्रा वृत्तांत1
एकांकी2
साक्षात्कार8
पत्र3
कहानी21
नाटक1
निबंध2
व्यंग्य1
जीवनी3
कथा46
अज्ञात के साक्षात्कार
प्रदर्शनी
सलमा: सुजाता। कल शाम को मैं तुम्हारे घर गई थी। लेकिन, तुम नहीं मिली। सुजाता: हाँ सलमा। मुंबई से मेरी चचेरी बहन रंजना आई है न, मैं उसको लेकर प्रगति मैदान चली गई थी। वहाँ हस्तशिल्प की प्रदर्शनी लगी हुई है। हम दोनों को यह प्रदर्शनी बहुत अच्छी लगी। तुम
कपड़े की दुकान
अमर : माँ, दीवाली के अवसर पर मेरे लिए कौन-सा कपड़ा ख़रीदोगी। माँ : तुम्हें क्या चाहिए, मुझे बताना बेटे। आज शाम को हम लोग बाज़ार चलेंगे। अमर : मैं भी बाज़ार चलूँगा माँ। मैं अपनी पसंद के कपड़े लूँगा। अनीता : मैं भी चलूँगी। पिता : हाँ बेटे, तुम दोनों
बातचीत
तरूण : नमस्ते शोभा। हम बहुत समय बाद मिले। शोभा : तरूण, नमस्ते। तरूण : शोभा तुम आजकल किस कक्षा में पढ़ती हो? शोभा : मैं कक्षा छह में पढ़ती हूँ। तरूण : तुम्हारा विद्यालय कहाँ है? शोभा : प्रधान डाकघर के पास है। और, तुम कहाँ पढ़ते हो? तरूण : मैं
यात्रा की तैयारी
निशा : पिता जी, दशहरे की छुट्टियों में हम मैसूर जाएँगे। निशांत : नहीं पापा, पिछले साल मैं स्कूल की टीम में मैसूर गया था। इसलिए कहीं और जाएँगे। निशा : मैं तो मैसूर का दशहरा ही देखना चाहूँगी। पिता : अब मैसूर के लिए रिज़र्वेशन मिलना कठिन है। अबकी बार
हमारा घर
राजीव : जोसफ़! नमस्ते! जोसफ़ : नमस्ते! तुम यहाँ? क्या यही तुम्हारा घर है? बहुत दिनों बाद मिले हो। बैठक में बैठकर कुछ देर बात करें। राजीव : हाँ, यह हमारा नया घर है। जोसफ़ : घर में कौन-कौन है? राजीव : घर में मेरे पिता जी, माँ और बड़े भैया हैं। अंदर आओ,
शिलांग से फ़ोन
(फ़ोन की घंटी बजती है।) ननकू : (फ़ोन उठाकर) हैलो! आप कौन साहब बोल रहे हैं? अमरनाथ : मैं अमरनाथ बोल रहा हूँ, शिलांग से। ननकू : हाँ बाबू जी नमस्ते! मैं ननकू बोल रहा हूँ। आप लोग कैसे हैं? अमरनाथ : हम सब ठीक-ठाक है। अच्छा रमा को बुलाओ। ननकू : बहन