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ठाकुरप्रसाद सिंह

1924 | वाराणसी, उत्तर प्रदेश

सुचर्चित गीतकार।

सुचर्चित गीतकार।

ठाकुरप्रसाद सिंह का परिचय

मूल नाम : ठाकुरप्रसाद सिंह

जन्म : 01/12/1924 | वाराणसी, उत्तर प्रदेश

सुचर्चित नवगीत कवि ठाकुर प्रसाद सिंह का जन्म 01 दिसंबर 1924 को वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के ईश्वरगंगी मुहल्ले में हुआ था। हिंदी और प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व में उच्च शिक्षा की प्राप्ति के बाद वह अध्यापन और पत्रकारिता के पेशे से संलग्न हुए। ग्राम्या (साप्ताहिक) और उत्तर प्रदेश (मासिक) पत्र-पत्रिका के संपादन में योगदान दिया। कालांतर में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के निदेशक भी रहे। 
उन्होंने गीतों व कविताओं के अलावा कहानी, निबंध और उपन्यास विधा में भी योगदान किया है। 'महामानव’ (प्रबंध-काव्य), 'वंशी और मादल’ (गीत-संग्रह) और ‘हारी हुई लड़ाई लड़ते हुए’ उनकी चर्चित काव्य-कृतियाँ हैं। ‘चौथी पीढ़ी’ उनकी कहानियों का संकलन है और ‘कुब्जा सुंदरी’ और ‘सात घरों का गाँव’ उनके उपन्यास हैं। ‘पुराने घर नए लोग’ और ‘प्रदक्षिणा’ उनके निबंध-संग्रह हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने ‘पहिए’, ‘कठपुतली’, ‘गहरे सागर के मोती’, ‘हिंदी निबंध और निबंधकार’ आदि कृतियों की रचना की है। 'मोर पंख' में उनकी प्रतिनिधि गद्य रचनाओं का संकलन हुआ है। 
वर्ष 1994 के अक्टूबर माह में बीमारी से जूझते हुए उनका निधन हो गया।

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