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स्वदेश दीपक

1942 | रावलपिंडी, पंजाब

अत्यंत प्रतिष्ठित और प्रशंसित कथाकार व नाटककार। 'मैंने मांडू नहीं देखा' और 'कोर्टमार्शल' बहुचर्चित पुस्तकें। असमय अलक्षित।

अत्यंत प्रतिष्ठित और प्रशंसित कथाकार व नाटककार। 'मैंने मांडू नहीं देखा' और 'कोर्टमार्शल' बहुचर्चित पुस्तकें। असमय अलक्षित।

स्वदेश दीपक का परिचय

जन्म : 06/08/1942 | रावलपिंडी, पंजाब

हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित और प्रशंसित लेखक व नाटककार स्वदेश दीपक का जन्म रावलपिंडी में 6 अगस्त 1942 को हुआ। अँग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. करने के बाद उन्होंने लंबे समय तक गांधी मेमोरियल कॉलेज, अंबाला छावनी में अध्यापन किया। दशकों तक अंबाला ही उनका निवास स्थान रहा। 1991 से 1997 तक दुनिया से कटे रहने के बाद जीवन की ओर बहुआयामी वापसी करते हुए उन्होंने कई कालजयी कृतियाँ रचीं, जिनमें ‘मैंने मांडू नहीं देखा’ और ‘सबसे उदास कविता’ के साथ-साथ कई कहानियाँ शामिल हैं। वह उन कुछेक नाटककारों में से हैं, जिन्हें संगीत नाटक अकादेमी सम्मान हासिल हुआ। यह सम्मान उन्हें वर्ष 2004 में प्राप्त हुआ। उनकी कहानी, उपन्यास तथा नाटक विधा की अब तक कुल पंद्रह पुस्तकें प्रकाशित हैं, जिनमें कहानी-संग्रह ‘तमाशा’, ‘बाल भगवान’ और ‘किसी एक पेड़ का नाम लो’ तथा नाटक ‘कोर्टमार्शल’, ‘बाल भगवान’ और ‘काल कोठरी’ आदि शामिल हैं।

स्वदेश दीपक 2006 की एक सुबह टहलने के लिए निकले और घर नहीं लौट पाए। तब से उनका पता लगाने की सारी कोशिशें नाकाम रही हैं।

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