सुदीप बनर्जी का परिचय
जन्म : 16/10/1946 | इंदौर, मध्य प्रदेश
निधन : 10/02/2009
सुदीप बनर्जी का जन्म 16 अक्टूबर 1945 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ। उनकी शिक्षा उज्जैन में हुई। आरंभ में अँग्रेज़ी साहित्य के प्राध्यापक रहने के बाद लगभग तीन वर्ष भारतीय पुलिस सेवा में कार्य किया, फिर भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हो मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के अंदर विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय में सचिव पद से सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन के चांसलर के रूप में कार्य किया।
अपने जन-सरोकारों के लिए उल्लेखनीय आठवें दशक के कवि के रूप में उनका कविता-संसार लगभग दो सौ कविताओं से बनता है जो ‘शब-गश्त’, ‘ज़ख्मों के कई नाम’ और ‘इतने गुमान’ शीर्षक तीन संग्रहों में प्रकाशित है। उनकी कविताओं के आकलन और उनके कवि के मूल्यांकन की आवश्यकता के क्रम में ‘उसके पूर्णतर मूल्यांकन की एक भूमिका’ शीर्षक लेख में विष्णु खरे लिखते हैं—‘‘सुदीप के कवि को आप सपाट और एकायामी नहीं कह सकते। उसके व्यक्तिगत तथा सामाजिक-राजनीतिक-प्रशासनिक तजुर्बों में विरल वैविध्य है। वह बहुभाषीय, बहुसांस्कृतिक और बहुशैलीय है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि प्रतिबद्धता के सस्ते बॉक्स-ऑफ़िस पर टकटकी लगाकर सुदीप अपने अनुभव-तथा-अभिव्यक्ति-स्वातंत्रय पर न तो कोई सेंसर लगाता है और न लगने देता है, और ऐसा वह करे क्यों जबकि उसने अपनी प्रतिबद्ध समाजी-सियासी शाइरी पर कोई अफ़सरी संकोच और सेंसर हावी नहीं होने दिया, बल्कि अपने वास्तविक कार्य-कलाप पर भी? इस दृष्टि से भी सुदीप हिंदी के गिने-चुने भयशून्य-चित्त कवियों में से है। वह एक प्रतिबद्ध विवेकवान विश्वचेतस् काव्य-प्रतिभा है।’’
कविताओं के अतिरिक्त उन्होंने नाटक-लेखन भी किया जिनका प्रकाशन और मंचन हुआ। उनकी प्रतिष्ठा 'साक्षात्कार' पत्रिका के संपादक के रूप में भी रही। वह विविध पुरस्कारों से नवाज़े गए।